स्कूली बच्चों ने जाना इमरजेंसी में कैसे दे सकते हैं सी.पी.आर. बिना डॉक्टरी सलाह के एक्सरसाइज दिल के लिए खतरनाक सेंट जोसेफ एकेडमी में प्रोफेसर डाॅ तनुज भााटिया बच्चों से हुए रूबरू
देहरादून। श्रीमहंत इन्दिरेश अस्पताल की ओर से सेंट जोसेफ एकेडमी के छात्र-छात्राओं को कार्डियक डेथ से बचाव को लेकर जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। रिवाइव हार्ट फाउंडेशन के स्टेट कॉर्डिनेटर व श्रीमहंत इंदिरेश हॉस्पिटल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर डॉ. तनुज भाटिया ने हार्ट अटैक और कॉर्डियक अरेस्ट के कारणों, लक्षणों, बचाव के उपायों व कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में दिए जा सकने वाले प्राणरक्षक प्राथमिक उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डाॅ तनुज भाटिया ने स्कूली बच्चों को जानकारी दी कि हार्ट अटैक की इमरजेंसी दौरान कैसे सीपीआर देकर मरीज़ को मेडिकल हेल्प दी जा सकती है।
सेंट जोसेफ एकेडमी के आॅडिटोरियम में स्कूल प्राचार्य ब्रदर जोसेफ एम. जोसेफ प्रोफेसर डाॅ तनुज भाटिया ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डॉ. भाटिया ने बताया कि अभियान के तहत स्कूलों व विभिन्न संस्थानों में जाकर युवाओं को कार्डियक अरेस्ट और कृत्रिम श्वसन आदि के बारे में बताया जाएगा। डॉ. भाटिया ने कहा कि पिछले एक दशक में कार्डियक अरेस्ट के मामले भारत में तेजी से बढ़े हैं। जागरूकता के अभाव में ऐसी स्थिति अक्सर घातक हो जाती है। जबकि, कार्डिएक अरेस्ट की पहचान और इसमें सीपीआर देकर किसी भी पीड़ित की प्राणरक्षा की संभावना को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने स्कूली बच्चों से रूबरू होते हुए कहा कि मेडिकल इमरजेंसी में वे भी मददगार के रूप में काम कर सकते हैं। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की मेडिकल टीम ने सी.पी.आर. माॅडल के माध्यम से बच्चों को सीपीआर देने का प्रशिक्षण दिया। बच्चों ने बढ़चढ़ कर सीपीआर डैमो ट्रेनिंग प्रोगाम में भागीदारी की।
प्रोफेसर डॉ. तनुज भाटिया ने कहा कि सेहतमंद दिखने के लिए युवाओं में स्टेरॉयड लेने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। ये उनके स्वास्थ्य खासकर दिल के लिए घातक हो सकती है। जिम में भी बेतरतरीब तरीके से एक्सरसाइज उनके लिए नुकसानदेह है। सामान्य लोगों को भी दिल की बीमारियों से बचने को डॉक्टरी सलाह के बाद ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। उन्होंने धूम्रपान, गलत खानपान व बिगड़ी दिनचर्या को हृदयाघात की बड़ी वजह बताया। उन्होंने सुरक्षित एक्सरसाइज एवं एंप्लायमेंट पर जोर दिया। डॉ. भाटिया ने कहा कि हार्ट अटैक और कॉर्डियक अरेस्ट से संबंधित पूर्व लक्षणों को नजरअंदाज न करें। 35 साल की उम्र के बाद लिपिड प्रोफाइल, ईसीजी, टीएमटी आदि सामान्य जांच जरूर कराएं।
सीपीआर देकर आप भी बचा सकते हैं किसी की जिदंगी
कार्डियक अरेस्ट के दौरान सीपीआर देकर आम आदमी भी लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। इस बारे में स्कूली बच्चों को डेमो दिया गया। डाॅ तनुज भाटिया ने कहा कि सीपीआर में छाती को दोनों हाथों से 30 बार दो इंच गहराई तक पंप करना है। इसकी गति एक मिनट में 100 बार होनी चाहिए। उन्होंने कहा एक घंटा गोल्डन ऑवर होता है, कोशिश रहे कि इस बीच मरीज अस्पताल पहुंच जाए।
डॉ. तनुज भाटिया के अनुसार, इन लक्षणों को गम्भीरता से लें–
– सीने में तेज दर्द
– बिना कारण पसीना आना
– बेचैनी अनुभव होना
– जबड़े, गर्दन और पीठ में दर्द होना
– सांस लेने में कठिनाई होना
– सांस छोटी होना
– जल्दी-जल्दी सांस लेना
– चक्कर आना
– पल्स का धीरे-धीरे कम होना
-मानसिक रूप से कुछ सोच या समझ ना पाना
खानपान व दैनिक जीवनचर्या में करें सुधार
– स्मोकिंग न करें। इससे दिल की बीमारी की आशंका 50 फीसदी बढ़ जाती है।
– अपना लोअर बीपी 80 से कम रखें। ब्लड प्रेशर ज्यादा हो तो दिल के लिए काफी खतरा है।
– फास्टिंग शुगर 100 से कम रखें। डायबीटीज और दिल की बीमारी आपस में जुड़ी हुई हैं।
– कॉलेस्ट्रॉल 200 या इससे कम रखें। इसमें भी बैड कॉलेस्ट्रॉल 130 से कम रहना चाहिए। जिनको हार्ट की बीमारी हो, उनका कोलेस्ट्राॅल 80 से कम हो तो बेहतर है।
-रोजाना कम-से-कम 45 मिनट सैर और एक्सरसाइज जरूर करें।
– तनाव न लें। दिल की बीमारियों की बड़ी वजह तनाव है।
– रेग्युलर चेकअप कराएं, खासकर अगर रिस्क फैक्टर हैं। साथ ही, कार्ब, नमक और तेल कम खाएं।
– डायबीटीज है तो शुगर के अलावा बीपी और कॉलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल में रखें।
– फल और सब्जियां खूब खाएं। दिन भर में अलग-अलग रंग के 5 तरह के फल और सब्जियां खाएं।
– रेड मीट में कम खाएं। यह वजन बढ़ाने के अलावा दिल के लिए भी नुकसानदेह है।