December 22, 2024

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में मरीज़ के गले से डक्टरों ने निकाला एक किलो का ट्यूमर, मरीज़ को उत्तराखण्ड व दिल्ली के बड़े नामचीन अस्प्तालों में नहीं मिल सका उपचार

0
IMG-20240902-WA0046.jpg

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के नाक कान गला रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ त्रिप्ती ममगाईं व उनकी टीम ने एक मरीज़ के गले से एक किलो का थायराइड ट्यूमर निकाला। शांति देवी उम्र 55 वर्ष निवासी रुद्रप्रयाग को लंबे समय से गले में सूजन की समस्या थी। मरीज़ कई बड़े नामचीन मेडिकल काॅलेजों, दिल्ली एवम् उत्तरखण्ड के प्रतिष्ठित संस्थानों से संतोषजनक उपचार न मिलने के बाद (रिजेक्ट होने के बाद) श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल पहुंचा। श्री महंत इन्दिरेश अस्प्ताल में मरीज़ की सफल सर्जरी हुई।

थायराइड ट्यूमर मरीज़ के गले से छाती के अन्दर तक पहुंच गया था। यह मामला इस लिए भी महत्वपूर्णं है कि आमतौर पर इस तरह के ट्यूमर को निकालने के लिए छाती की ह्डड्ी को काटकर ट्यूमर निकालने का रास्ता बनाया जाता है। लेकिन इस मामले में डाॅ त्रिप्ती ने गले के रास्ते ही ट्यूमर को बाहर निकाला। मेडिकल साइंस में इस बीमारी को मल्टी नाॅड्यूलर गायटर कहते हैं। इस बीमारी की वजह से मरीज़ को 20 वर्षों से गले में बहुत बड़ी सूजन थी, इसकी वजह से महिला को सांस लेने एवम् खाना खाने में दिक्कत थी जो बढ़ती ही चली जा रही थी।

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के नाक कान गला रोग विभाग की प्रमुख डाॅ त्रिप्ती ममगाईं ने जानकारी दी कि गले में उभरा हुआ ट्यूमर मरीज़ की छाती की खून की नसों के साथ चिपका हुआ था और बात करने वाली नस (वोकल काॅर्ड्स) के बहुत नजदीक थी। ट्यूमर बीमारी के प्रभाव की वजह से छाती की ओर बढ़ता जा रहा था। जिसकी वजह से मरीज़ को सांस लेने में परेशानी हो रही थी और मरीज़ की जान का जोखिम भी बन रहा था। आॅपरेशन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि ट्यूमर को निकालने के दौरान छाती की खून की नसों एवम् वाकल काॅर्ड को कोई नुकसान न पहुंचे। आॅपरेशन 5 घण्टे तक चला। सफल सर्जरी के बाद मरीज़ को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। आॅपरेशन टीम में डाॅ शरद हरनोट, डाॅ ऋषभ डोगरा, डाॅ फातमा सहित एनेस्थीसिया टीम से डाॅ पराग डाॅ स्वाति का भी सहयोग रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed